देहरादून। उत्तराखंड में 12 दिसंबर से शुरू होने जा रही 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के लिए प्रदेश पूरी तरह तैयार है। चार दिवसीय इस आयोजन में 58 देशों से तीन सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे, जबकि देशभर से 6500 प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सहमति दे चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में इस आयोजन के कर्टेन रेजर और प्रोग्राम गाइड का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड को आयुर्वेद के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम ‘सर्वे संतु निरामय:’ के संदेश को घर-घर तक पहुंचाने में मदद करेगा।
आयुर्वेद की भूमि उत्तराखंड
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को आयुर्वेद की भूमि बताते हुए कहा कि राज्य की जलवायु औषधीय पादपों के लिए बेहद अनुकूल है, और राज्य के साथ हिमालय और वनों का भी आयुर्वेद से गहरा संबंध है। उन्होंने इस आयोजन को आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत और विश्व को एक नई दिशा देने वाला बताया।
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आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस आयोजन में राज्य के आठ विभागों के पवेलियन भी लगाए जाएंगे, जिनमें आयुर्वेद, होम्योपैथी, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यटन, उद्योग, उद्यान और ग्राम्य विकास शामिल हैं। ये पवेलियन उत्तराखंड को आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में प्रचारित करने में सहायक होंगे।
आयुष नीति और आयुष अस्पतालों का निर्माण
सीएम धामी ने आयुष नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत आयुष निर्माण, वेलनेस, शिक्षा और कृषि क्षेत्र को गति दी जा रही है। राज्य में आयुष आधारित 50 शैयायुक्त अस्पतालों का निर्माण हो रहा है, और 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की जा चुकी है। इसके साथ ही, 150 से अधिक आयुष अस्पतालों को एनएबीएच मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लेने की बात भी की। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव रविनाथ रमन और विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के ट्रस्टी रजनीश पुराणिक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन निदेशक आयुष विजय जोगदंडे ने किया।