लोक सूचना अधिकारी की राज्य सूचना आयुक्त ने की निंदा, बनभूलपुरा कांड में पत्रकारों से जुड़ा है मामला

वनभूलपुरा कांड में राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी द्वारा पत्रकारों से जुड़ी जानकारी न देने को त्रुटिपूर्ण कार्रवाई का द्योतक बताया है और इसकी निंदा की है। आयोग ने थानाध्यक्ष को निर्देश दिए हैं कि अपीलार्थी को जो सूचना अन्य थाने, कार्यालय व उपक्रम में हो वहां से सूचना प्राप्त कर पंद्रह दिन के अंदर उपलब्ध कराई जाए।

राज्य सूचना आयुक्त ने की लोक सूचना अधिकारी की निंदा

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बनभूलपुरा में हुए उपद्रव मामले में हरिद्वार निवासी वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल से कुछ जानकारी मांगी थी। उन्होंने इस अतिक्रमण हटाने गई प्रशासनिक टीम की कार्रवाई की कवरेज कर रहे पत्रकारों पर उपद्रवियों के हमले में घायल पत्रकारों, उनके क्षतिग्रस्त वाहन, कैमरा, मोबाइल फोन, एफआईआर आदि दस्तावेजी प्रमाणों की सूचना मांगी थी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस पत्र को बनभूलपुरा थाने के लोकसूचना अधिकारी को भेज दिया।

लेकिन लोकसूचना अधिकारी ने इस मामले के विवेचनाधीन होने की बात कहते हुए कोई जानकारी नहीं दी। जिसके बाद रिष्ठ पत्रकार त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने इस मामले में तीन अप्रैल को विभागीय अपीलीय अधिकारी सीओ सिटी हल्द्वानी के समक्ष प्रथम अपील दायर कर दी। अपीलार्थी के प्रतिनिधि के रूप प्रथम अपील की सुनवाई में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार दया जोशी के समक्ष अपीलीय अधिकारी नितिन लोहनी क्षेत्राधिकारी द्वारा सूचनाओं को तीसरे पक्ष का बताते हुए सूचना दिया जाना संभव नहीं है कह कर अपील निस्तारित कर दी थी।

वनभूलपुरा कांड में पत्रकारों से जुड़ा है मामला

विभागीय अपीलीय अधिकारी के फैसले से त्रिलोक चन्द्र भट्ट संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने देहरादून स्थित उत्तराखण्ड राज्य सूचना आयोग का रूख किया और यहा द्वितिय अपील दायर की। इस मामले में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद राज्य सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र द्वारा लोक सूचना अधिकारी को फटकार लगाई गई। उन्होंने लोक सूचना अधिकारी को जो सूचना अन्य थाने, कार्यालय व उपक्रम में हो वहां से लेकर पंद्रह दिन के अंदर अपीलार्थी को देने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त ने कहा है कि अगर अपीलार्थी चाहे तो सर्वाेच्च न्यालय के आदेश के परिपेक्ष्य में न्यायालय की निर्धारित व्यवस्था के तहत अनुरोध पत्र के सापेक्ष सूचना प्राप्त करने के लिए भी स्वतंत्र है। इसके लिए उन्होंने सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा गुजरात हाई कोर्ट बनाम सीआईसी की सिविल अपील पर जारी व्यवस्था का भी हवाला भी दिया।

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