देहरादून: साइबर सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड सचिवालय ने बड़ा कदम उठाया है। हालिया साइबर हमले के बाद सचिवालय में डिजास्टर रिकवरी साइट का उद्घाटन किया गया, जो राज्य के संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखने के साथ-साथ आपदा या तकनीकी समस्याओं के दौरान सेवाओं को बाधारहित रूप से संचालित करने में सक्षम होगी।
बुधवार को सचिव आईटी नितेश झा ने इस नई व्यवस्था का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि डिजास्टर रिकवरी साइट न केवल डाटा सेंटर की महत्वपूर्ण एप्लीकेशंस को सुरक्षित रखेगी, बल्कि छह माह तक का डेटा बैकअप भी उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही सभी विभागों के डेटा की टेप फायरप्रूफ अलमारी में संरक्षित की गई हैं।
सचिव झा ने इसे एक नवाचारी कदम बताते हुए कहा कि डिजास्टर रिकवरी साइट भविष्य में किसी भी आपदा या तकनीकी समस्या के दौरान डेटा और सेवाओं की शीघ्र पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करेगी। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को तैयार करने वाली टीम की सराहना की और इसे आईटी क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया।
Also Read
- हिमालयी मौसम और जलवायु क्षेत्रों में एरोसोल का प्रभाव बढ़ा, 250 से अधिक वैज्ञानिक दे रहे समाधान के सुझाव
- उत्तराखंड की तस्वीर बदल देंगे चार महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट: वेडिंग डेस्टिनेशन, नालेज सिटी, दो नए शहर, और गंगा-शारदा कॉरिडोर से 2026 तक राज्य में विकास की नई शुरुआत
- उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड: मुख्यमंत्री धामी ने की आधिकारिक घोषणा
- उत्तराखंड में बाघों की मौत में 62% की कमी, संरक्षण प्रयासों से बेहतर हुए हालात
- 38वें राष्ट्रीय खेल: उत्तराखंड के खिलाड़ियों और खेल विभाग के लिए बड़ी परीक्षा, पदक तालिका में सुधार की चुनौती
इस प्रोजेक्ट को बिना किसी अतिरिक्त लागत के तैयार किया गया है। आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि यह साइट स्वान पीओपी में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर बनाई गई है, जबकि बाजार में इस तरह की साइट डेवलपमेंट की लागत करीब 20 करोड़ रुपये तक होती।
डिजास्टर रिकवरी साइट के विकास में एनआईसी निदेशक अरुण शर्मा की अध्यक्षता वाली टीम ने योगदान दिया, जिसमें एजीएम मनवीर जोशी, प्रोजेक्ट मैनेजर राम, डाटाबेस विशेषज्ञ नितीश सैनी, नेटवर्क विशेषज्ञ विकास और बैकअप विशेषज्ञ गिरीश शामिल रहे।