क्या आप शहरी हलचल से दूर किसी ऐसी जगह जाने के बारे में सोच रहे हैं जहां आप शांति, हरे भरे जंगल, बर्फ से ढकी चोटियां और कलकल करती नदी की बहती धारा को फील कर सको। क्या आप उत्तराखंड में घूमने की किसी ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं जहां सुबह सूरज की किरण के साथ बर्फीली चोटियों की ठंडी हवा आपके चेहरे को छूकर गुजरे। जहां आपकी खिड़की के सामने रंग-बिरंगी चिड़ियां फुदकती हुई नजर आएं।
जहां चारों तरफ हरियाली और रंग बिरंगे फूलों की खुशबू हो। अगर हां…? तो उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित एक यूनिक पहाड़ी गांव हर्षिल या हरसिल(Harsil) आपकी ड्रिम डेस्टिनेशन हो सकती है। अब हर्षिल इतना खास क्यों है (Why is Harsil famous?)और अगर यहां आने का प्लान हो तो कैसे पहुंचे, कौन सा मौसम हर्षिल विजिट करने के लिए बेस्ट है(What is the best time to visit Harsil Valley)? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं।
हिमालय की गोद में बसा हर्षिल
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बसा पहाड़ी गांव हर्षिल किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। हिमालय की गोद में बसा ये स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांति और सेब के बागानों के लिए जाना जाता है। भागीरथी नदी के किनारे बसा ये गांव पर्यटकों की नजर से फिलहाल अभी दूर है।
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बहुत कम लोगों को इस गांव की खुबसुरती के बारे में पता है। जो इसे एक आइडियल डेस्टिनेशन बनाता है। अगर आपको शांत और प्रकृत सौंदर्य से भरी जगहें लुभाती हैं तो उत्तराखंड का हर्षिल आपके लिए परफेक्ट है। आपको ये जानकर हैरानी होगी की उत्तरकाशी में कलकल करती भागीरथी नदी के तट पर बसे हर्षिल को अपना नाम एक लेटी हुई शिला से मिला जिसे हरिशिला कहते हैं।
हर्षिल क्यों है फेमस Why is Harsil famous? Why is Harsil Valley famous?
- सेब के बागान– हर्षिल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही अपने सेबों के लिए भी जाना जाता है। बता दें की यहां एक किस्म के सेब होते हैं जिसे लोग विल्सन सेब कहते हैं। दरअसल हरसिल घाटी में ये खास सेब के बीज फ्रेडरिक विल्सन नाम का एक ब्रिटिश अधिकारी लेकर आया था। फ्रेडरिक विल्सन को लोग हरसिल का राजा और पहाड़ी विल्सन के नाम से भी जानते हैं। विल्सन ने हर्षिल में देवदार की लकड़ी से शानदार बंगला बनवाया था जो आज भी वन विश्राम गृह के रूप में हरसिल में मौजूद है।अगर आप अगर हरसिल आ रहे हैं तो आप विल्सन के इस बंगले में बुकिंग करा कर रह सकते हैं।
- भागीरथी नदी– ये नदी हर्षिल की सुंदरता को दुगना कर देती है। नदी का साफ और ठड़ा पानी और शहर की शोर शराबे से दूर आपको मंत्रमुग्ध कर देता है।
- शांति और अछूता सौंदर्य – ऑफबीट डेस्टिनेशन हर्षिल में आपको बहुत ही कम भीड़भाड़ नजर आएगी। शांत जगह पर समय बिताना चाहते हैं तो ये काफी अच्छा ऑप्शन है।
हर्षिल हिस्ट्री
हर्षिल प्राकृतिक सुंदरता के अलावा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भागीरथी और जालंधारी के तेज प्रभाव को कम करने के लिए भगवान विष्णु ने इस जगह पर शिला का रुप धारण कर लिया था। लेकिन बाद में एक अंग्रेजी अफसर ने इस जगह का नाम हर्षिल या हरसिल रख दिया।
इसके साथ ही इस स्थान को पांडवों के अज्ञातवास और तपस्या से भी जोड़ा जाता है। इसके अलावा यहां के स्थानीय लोगों के लिए गंगा नदी विशेष रूप से पूजनीय है क्योंकि इसके पास गंगोत्री धाम स्थित है। साथ ही भारत-चीन की सीमा पर होने की वजह से ये सेना की रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण छावनी क्षेत्र भी है। अगर आप ऐडवेंचर के शौकीन हैं या फोटोग्राफी के दीवाने हैं तो हर्षिल आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां आप ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, बर्ड वॉचिंग, और मेडिटेशन कर सकते हैं।
इतनी ऊंचाई पर बसा है हर्षिल harsil valley height from sea level
समुद्र तल से 2,620 मीटर यानी की करीब 7800 फीट की ऊंचाई(How tall is Harsil in feet?) पर बसे हर्षिल से आप सालभर बर्फ की चादर ओढ़े हिमालय की चोटियों का सुंदर नजारा देख सकते हैं। चारों तरफ से घने देवदार और भोजपत्र के पेड़ों से घिरा हर्षिल भारत के प्रमुख सैन्य अड्डों में से एक है।
हर्षिल के आस-पास घूमने की जगह (What to visit in Harsil?)
यहां पर आस-पास कई और खूबसूरत जगह हैं जो आपकी ट्रीप को और भी खास बना सकती हैं
- गंगोत्री धाम – हरसिल से गंगोत्री धाम करीब 25 किलोमीटर(How far is Gangotri from Harsil?) दूर स्थित है। ये धाम खासकर हिंदुओं के लिए काफी पवित्र है। ये चार धाम यात्रा का भी एक अहम हिस्सा है। तो वहीं हर्षिल से यमुनोत्री की सड़क मार्ग द्वारा दूरी करीब 232 किलोमीटर(How far is yamunotri from Harsil?) है। ये रास्ता उत्तरकाशी और बड़कोट आदि मेन स्थानों से होकर जाता है।
- धराली- हरसिल से महज 3 किमी की दूरी पर स्थित धराली गांव के ठीक बगल से भागीरथी नदी बहती है जो इस गांव को बेहद खूबसूरत और आकर्षक बनाती है।
- मुखबा गांव – मुखबा को मां गंगा का मायका माना जाता है ये मां गंगा का शीतकालीन निवास स्थान है।
- गरतांग गली – ये एक लकड़ी का ऐतिहासिक पुल है जो पहाड़ों की चट्टानों के बीच बना हुआ है। दरअसल 150 साल पुराने इस पुल का इस्तेमाल भारत और तिब्बत के बीच व्यापार करने के लिए किया जाता था।
- बगोरी गांव-अगर आपको हरसिल का सेब का भंडार देखना है या फिर यहां लकड़ी से बने घरों की सुंदरता को निहारना है तो बगोरी गांव आपके लिए बेस्ट है यहां हर तरफ आपको सेब के खेत दिखाई देंगे।
- सतताल– सात झीलों का समूह सतताल हर्षिल के पास ही है। आप सातताल जैसी जगह भी जा सकते हैं।
- जध गंगा घाटी – यह घाटी एडवेंचर एक्टिविटिज के लिए काफी फेमस है। एडवेंचर प्रेमी यहां पर ट्रेकिंग और कैंपिंग का लुत्फ उठा सकते है।
हर्षिल के लिए कितने दिन की यात्रा करें प्लान How many days are enough for Harsil?
वैसे तो हर्षिल की यात्रा के लिए तीन से चार दिन का समय(How many days are enough for Harsil?) काफी है। इस दौरान आप ऊपर बताए गए हर्षिल के आस-पास जगहों पर घूम सकते है। हालांकि अगर आपको पास छुट्टियों की कमी नहीं है तो आप यहां के लिए पांच से सात दिन की यात्रा का प्लान बनाए। इसमें आप अच्छे से ट्रेकिंग, स्थानीय संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को अनुभव कर सकेंगे।
कैसे पहुंचें हर्षिल? (How to go to Harsil?)
अगर आप हर्षिल आ रहे है तो यहां पर पहुंचने के लिए कई सारे माध्यम अवेलेबल हैं। आप इनमें से किसी भी माध्यम से यहां तक पहुंच सकते हो।
- सड़क मार्ग: हर्षिल उत्तराखंड के अलग-अगल शहरों से जुड़ा हुआ है। अगर आप रोड़ के माध्यम से आ रहे है तो सबसे पहले आपको देहरादून या फिर ऋषिकेश पहुंचा होगा। यहां से आपको उत्तरकाशी के लिए बस और टैक्सी आराम से मिल जाएगी. उत्तरकाशी से आप आसानी से टैक्सी या बस लेकर सीधा हर्षिल वैली आ सकते हैं।
- दिल्ली से हरसिल तक बस द्वारा दूरी: अगर आप दिल्ली से आ रहे है तो दिल्ली से हर्षिल की सड़क मार्ग की दूरी करीब 468 किलोमीटर( How much distance from Delhi to Harsil by bus?) है। हालांकि हर्षिल के लिए कोई भी सीधी बस सेवा नहीं हैं। आप दिल्ली से उत्तराकाशी तक की यात्रा कर सकते है। जो करीब 14-16 घंटें के बीच होगी। जिसके बाद उत्तरकाशी से आप टैक्सी से हर्षिल पहुंच सकते है। दिल्ली से हर्षिल तक की टैक्सी करने पर आपको 6,000 से ₹9,800(How much is a taxi from Delhi to Harsil?)के बीच खर्चा आ सकता है।
- रेल मार्ग:(nearest railway station to harsil) हर्षिल के सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार हैं। जहां से आपको बस या फिर टैक्सी हर्षिल के लिए आसानी से मिल जाएगी।
- हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट(Which is the nearest airport to Harsil valley?) देहरादून है। ये हर्षिल से करीब 230 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है।
हर्षिल में रहने के लिए जगह
हर्षिल में रहने के लिए आपको बजट में कई होमस्टे, गेस्ट हाउस और वन विभाग के विश्राम गृह मिल जाएंगे। खाने-पीने की बात करें तो यहां आपको उत्तराखंडी पारंपरिक भोजन का स्वाद चखने को मिलेगा। यहां के local cusines में झंगोरा की खीर, मंडुवे की रोटी, और पहाड़ी राजमा खास हैं। अगर आप यहां से कुछ खास खरीदना चाहते हैं तो आप यहां से पारंपरिक थुलमा, पंखी, शाल,(What to buy in Harsil?) स्वेटर वगैहरा खरीद सकते हैं इसके अलावा आप यहां का सबसे फेमस राजमा भी अपने साथ ले जा सकते हैं।
हर्षिल आने का बेस्ट समय (What is the best time to visit Harsil Valley?)
यहां पर सालभर मौसम ठंडा रहता है। तो वहीं सर्दियों में ये बर्फ की सफेद चादर ओढ़े नजर आता है। ये स्थान सर्दियों में और भी आकर्षक हो जाता है। हर्षिल आने का बेस्ट महीना अप्रैल से अक्तूबर है।
- गर्मियों में (अप्रैल से जून): यहां आने का सबसे बेस्ट समय अप्रैल से जून के बीच है। इस दौरान यहां मौसम सुहावना रहता है। जून के महीने में यहां का तापमान आमतौर पर अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम करीब 10 डिग्री सेल्सियस (What is the temperature in Harsil in June?) के बीच तक रहता है।
- सर्दियों में (नवंबर से फरवरी): नवंबर से फरवरी के बीच ये जगह बर्फ से ढकी(Is there snowfall in Harsil?) होती है। जो इसे और भी खूबसूरत बना देता है।
- मानसून में (जुलाई से सितंबर): इस समय यहां पर सड़के फिसलन भरी हो सकती हैं। ऐसे में इस समय यात्रा करने से पहले मौसम की जानकारी जरूर लें।
हर्षिल आने से पहले ये ट्रैवल टिप्स याद रखें
अगर आप हर्षिल आ रहे हैं तो ये ट्रैवल टिप्स जरूर याद रखें-
- यात्रा से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें।
- अपने साथ गर्म कपड़े लेकर आएं(What to wear in Harsil?)। ऊंचाई के कारण यहां मौसम सालभर ठड़ा रहता है।
- अच्छे ट्रेकिंग शूज़ पहनकर आएं
- अपने साथ कैश जरूर रखें क्योंकि यहां एटीएम की सुविधा सीमित है।
- ज़रूरी दवाइयां साथ रखें।
- स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करें।
सबसे जरूरी बात जब भी आप पहाड़ों पर यात्रा करने आएं तो ध्यान रखें की अपने साथ लाया हुआ वेस्ट इधर उधर ना फेंके ताकी ये खूबसूरत जगह नैचुरेली खुबसुरत रह सके।
तो जब भी आपका मन किसी शांत जगह पर जाने का करे तो आप हर्षिल(Is Harsil worth visiting?) का रूख कर सकते हैं। यउत्तराखंड से जुड़ी ऐसी ही खास ट्रैवल डेस्टिनेशनस के बारे में जानने के लिए हमारे पेज खबर उत्तराखंड पर बने रहे।