क्या बियर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने में है कारगर? स्टडी में हुआ खुलासा

beer helps in fighting cancer

नई दिल्ली: बियर, जिसे अक्सर एक मनोरंजन या हल्के मादक पेय के रूप में देखा जाता है, अब चिकित्सा विज्ञान की चर्चाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान बना रही है। हाल ही में आई एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है कि बियर में पाए जाने वाले कुछ तत्व कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में सहायक हो सकते हैं। हालाँकि यह दावा विवादास्पद और प्रारंभिक अध्ययन पर आधारित है, फिर भी यह सवाल उठाता है कि क्या बियर, जो अब तक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती थी, असल में कुछ मामलों में फायदेमंद हो सकती है?

क्या कहती है स्टडी?

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हाल ही में यूरोप में किए गए एक शोध में यह पाया गया कि बियर में मौजूद हॉप्स (Hops) नामक पदार्थ में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचा सकते हैं। हॉप्स, बियर का प्रमुख घटक है और इसमें मौजूद ‘क्जान्थोहुमोल’ (Xanthohumol) नामक यौगिक कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सहायक हो सकता है। यह यौगिक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है, जो कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शोधकर्ताओं का दावा है कि हॉप्स के इस घटक में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता है, खासकर स्तन कैंसर, कोलन कैंसर, और प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बियर के सीमित सेवन से शरीर को फायदा हो सकता है, लेकिन इसे नियमित तौर पर पीना या बड़ी मात्रा में लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

साथ जर्मनी के EMBL शोधकर्ताओं और वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक महत्वपूर्ण खोज की है, जिसमें खमीर कोशिकाओं को कैंसर से लड़ने में प्रभावी बताया गया है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, शराब बनाने वाले खमीर स्किज़ोसैक्रोमाइसिस पोम्बे (S. pombe) सरलता से हाइबरनेट कर सकते हैं, जिससे कैंसर अनुसंधान में नए रास्ते खुल सकते हैं।

यूवीए के आणविक फिजियोलॉजी और जैविक भौतिकी विभाग के शोधकर्ता, **डॉ. अहमद जोमा**, बताते हैं, “हमें यह समझने की जरूरत है कि भुखमरी के दौरान ये कोशिकाएं कैसे खुद को अनुकूलित करती हैं और मृत्यु से बचने के लिए निष्क्रिय हो जाती हैं।”

कैंसर अनुसंधान में बियर यीस्ट

S. pombe को लंबे समय से शराब बनाने के लिए उपयोग किया जाता रहा है, और वैज्ञानिकों ने पाया कि इसकी कोशिकाएं मानव कोशिकाओं से काफी मिलती-जुलती हैं। यही कारण है कि यह खमीर कैंसर कोशिकाओं के साथ होने वाली प्रक्रियाओं को समझने के लिए एक उत्कृष्ट मॉडल बनता है।

शोध दल ने क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और टोमोग्राफी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके एक 3D माइक्रोस्कोप से इस पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब यीस्ट कोशिकाएं भुखमरी की स्थिति का सामना करती हैं, तो वे अपने माइटोकॉन्ड्रिया को अप्रत्याशित रूप से एक लेयर से ढक लेती हैं। यह लेयर निष्क्रिय राइबोसोम से बनी होती है, जो आमतौर पर प्रोटीन के उत्पादन के लिए काम करती है। कोशिकाएं ऊर्जा बचाने के लिए अपने राइबोसोम को बंद कर देती हैं, लेकिन यह लेयर माइटोकॉन्ड्रिया के ऊपर जुड़ी रहती है, जो उन्हें संरक्षण प्रदान करती है।

बियर और कैंसर: सीमित अनुसंधान

हालाँकि, यह अध्ययन प्रारंभिक चरण में है और इसके परिणाम पूरी तरह से मान्य नहीं किए गए हैं। अब तक के शोध जानवरों पर किए गए हैं, और मनुष्यों पर इसका क्या प्रभाव होता है, यह जानने के लिए अधिक गहन और विस्तृत अनुसंधान की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इस पर व्यापक अध्ययन नहीं होता, तब तक बियर को कैंसर के इलाज या रोकथाम के रूप में नहीं देखा जा सकता।

इसके अलावा, कई चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बियर में अल्कोहल होता है, और अत्यधिक अल्कोहल सेवन कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगी कि बियर कैंसर से लड़ने में पूरी तरह से प्रभावी है।

बियर का दूसरा पक्ष

अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। बियर के अलावा रेड वाइन में भी कुछ एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फिनोल्स पाए गए हैं, जो हृदय रोगों से लड़ने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, फिर भी विशेषज्ञ हमेशा अल्कोहल के सीमित सेवन पर जोर देते हैं, क्योंकि इसका अत्यधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो चुका है।

भविष्य में क्या उम्मीदें?

यह शोध, हालांकि प्रारंभिक है, परंतु उम्मीद की किरण दिखाता है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में नए रास्ते खोजे जा सकते हैं। अगर आने वाले वर्षों में इस दिशा में और अधिक शोध किए जाते हैं, तो हो सकता है कि हॉप्स या बियर में मौजूद कुछ यौगिकों का उपयोग कैंसर-रोधी दवाओं में किया जाए।

फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि बियर वास्तव में कैंसर से लड़ने में कितना प्रभावी है, लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे ये शोध हमें नई दिशाओं में सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। आने वाले समय में अधिक स्पष्टता और गहन अध्ययन की आवश्यकता होगी ताकि यह समझा जा सके कि बियर का वास्तव में स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या यह किसी गंभीर बीमारी से लड़ने में मदद कर सकती है।

Disclaimer/अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल वैज्ञानिक अनुसंधान और अध्ययन पर आधारित है। गढ़वाल वॉइस किसी भी प्रकार से शराब या अल्कोहल के सेवन को प्रोत्साहित नहीं करता है। यह लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे स्वास्थ्य या जीवनशैली से संबंधित सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। शराब का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, और इसका उपयोग जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।

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