उत्तराखंड की धामी सरकार के तेज तर्रार कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का काऊनडाउन शुरू हो चुका है। मंत्री जोशी के खिलाफ विजिलेंस में मुकदमा दर्ज करने को लेकर धामी कैबिनेट को आठ अक्टूबर तक निर्णय लेना है। नहीं तो 19 अक्टूबर को विजिलेंस कोर्ट अपनी कार्यवाही करेगी। आपको बता दें की कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले पर विजिलेंस जांच होनी है।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर दर्ज होगा मुकदमा !
उत्तराखंड के सवा करोड़ जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर और उनके मंत्रिमंडल पर नज़रें लगाई बैठी हैं। जिनके द्वारा 8 अक्टूबर तक मंत्री के खिलाफ मुकदमा या कार्यवाही करने को लेकर विजिलेंस को अपनी राय देनी है। धामी सरकार के लिए चिंता इस बात की भी है कि अगर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई न करने के निर्देश दिए जाते हैं तो फिर उनके ऊपर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने और दोषी को बचाने का आरोप लगता है तो ये सरकार की अपनी ही जीरो टॉलरेंस की नीति के खिलाफ होगा।
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अगर कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति करता है तो फिर सरकार पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे कि जो लोग अभी तक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते थे कार्रवाई करने के लिए जिन्हें जनता ने चुना था आज वही लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं और अपने लिए संपत्ति जुटाने में लगे हुए हैं।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में लगे हैं आरोप
आपको बता दें कि इस मामले में आईटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकास नीति ने भी विजिलेंस को मंत्री के आय से अधिक संपत्ति के मामले में सभी दस्तावेज दिए हैं और कार्रवाई की मांग की है। विपक्षी दल भी धामी सरकार से अपने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहा है। राजनीति के जानकार भी इस बात को मानते हैं कि धामी सरकार के सामने धर्म संकट है की सरकार जिस जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करना चाहती हैं उसमे बाधा उसके मंत्री बन रहे हैं।
आपको बता दें की विजिलेंस कोर्ट की तरफ से विजिलेंस के अधिकारियों से पूछा गया था कि उनके द्वारा आय से अधिक संपत्ति के मामले पर मंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। जिसके जवाब में विजिलेंस ने कहा था कि मंत्री परिषद और उसे जुड़े हुए व्यक्तियों पर कार्रवाई के लिए कैबिनेट की सहमति होना जरूरी है। इसलिए कैबिनेट से इस विषय पर राय मांगी गई है। विजिलेंस कोर्ट बताया कि सरकार को 8 अक्टूबर तक इस विषय पर अपना निर्णय लेना है और 19 अक्टूबर को विजिलेंस कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई की जाएगी।
धामी सरकार के लिए संकट की घड़ी
राजनीति के जानकारों की मानें तो धामी सरकार के लिए संकट की घड़ी आवश्यक है। लेकिन सरकार को अगर अपनी छवि स्वच्छ रखनी है तो फिर कार्रवाई का निर्णय लेना जरूरी होगा। इसके साथ ही विपक्ष की भूमिका पर भी राजनीति के जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं। क्योंकि विपक्ष के विधायक और नेता जिस प्रकार से सरकार के खिलाफ आवाज उठाने में नाकाम साबित हो रहे हैं वो उन्हें मित्र विपक्ष की भूमिका में खड़ा कर रहा है।
कांग्रेस सरकार को घेरने से नहीं आ रही है बाज
कांग्रेस सरकार को घेरने से बाज नहीं आ रही है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का कहना है कि आज अगर सरकार पर इतना दबाव पड़ा है गणेश जोशी के लिए तो वो विपक्ष की वजह से ही है। उन्होंने कहा कि उद्यान घोटाले में गणेश जोशी का संलिप्तता पाया जाना।
फिर सैन्य धाम का मामला और अब पहली बार ऐसा इतिहास में हुआ होगा कि सिटिंग कैबिनेट मंत्री ओर उनके विभाग के ऊपर सीबीआई जांच करती है और घोटाला होने का खुलासा करती है। वहीं आय से अधिक संपत्ति मामले में आठ अक्टूबर आखिरी तारीख है जब धामी कैबिनेट को हरि झंडी देनी है। दसौनी में कहा कि ये देखने वाली बात है कि पारदर्शिता की बात करने वाली सरकार अपने मंत्री को ऐसे ही जाने देती है या वहीं नियम अपनाते हैं जो आम आदमी के लिए हैं।