थाने में अनशन पर बैठे हैं सोनम वांगचुक, सीएम आतिशी को नहीं मिलने दिया, राकेश टिकैत ने दिया समर्थन

सोशल एक्टिविस्ट Sonam Wangchuk को दिल्ली पुलिस ने उनके 100 साथियों के साथ हिरासत में लिया है। इन लोगों को अलग-अलग थाने में रखा गया है। वहीं सोनम वांगचुक और लगभग उनके 30 साथियों को बवाना पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा है।

अलग-अलग थाने में अनशन पर बैठे सभी

Read More

सोनम वांगचुक और उनके साथी थाने के अंदर ही अनशन पर बैठे हैं। थाने के बाहर फोर्स को तैनात कर दिया है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य सत्येंद्र का कहना है कि वह बवाना थाने के अंदर सोनम वांगचुक से मिलकर आए हैं। वह स्वस्थ हैं और सभी अनशन पर बैठे हैं।

सीएम आतिशी ने दी प्रतिक्रिया

वहीं दिल्ली की सीएम आतिशी ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आ रहे थे। उनको पुलिस ने रोक लिया है। कल रात से बवाना थाने में कैद है। क्या लद्दाख के लोकतांत्रिक अधिकार मांगना गलत है? क्या 2 अक्टूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना गलत है? सोनम वांगचुक जी को रोकना तानाशाही है।

सीएम आतिशी को नहीं मिलने दिया

वहीं जब सीएम आतिशी आज दोपहर में उनसे मिलने पहुंची तो उन्हें थाने के अंदर नहीं जाने दिया। उन्होनें इसकी निंदा की है। उन्होनें कहा कि यह सरकार की तानाशाही है। लद्दाख में एलजी राज खत्म होना चाहिए और उसी तरह दिल्ली में भी एलजी राज को खत्म होना चाहिए।

राकेश टिकैत ने दिया साथ

वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि लद्दाख से दिल्ली तक पैदल मार्च कर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने आ रहे सोनम वांगचुक व अन्य लोगों को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर लिया है। यह सब गैरकानूनी और असंवैधानिक है। हम आजाद देश के लोग हैं और हमें अपनी बात रखने का अधिकार है। हम सभी लोग उनके साथ हैं।

Sonam Wangchuk की प्रमुख मांग

बता दें कि सोनम वांगचुक की प्रमुख मांगो में एक यह है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए और लद्दाख में एक और संसदीय सीट को बढ़ाना, शासन में सरकारी नौकरियां और भूमि अधिकारों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग आदि शामिल है। जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके। इनको लेकर लद्दाख के लोग 2019 से ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वांगचुक और लगभग 75 स्वंयसेवकों ने 1 सितंबर को लेह से अपना पैदल मार्च शुरु किया था। वह इससे पहले मार्च में 21 दिन की भूख हड़ताल भी कर चुके हैं।

Source link

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *