कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा रोजगार दर में कमी आने के दावों पर पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री के सलाहकार उन्हें पूर्ववर्ती सरकारों के द्वारा रोजगार के क्षेत्र में किए गए कार्यों का सही-सही विवरण नहीं दे पा रहे हैं.
कांग्रेस ने किया सीएम धामी के रोजगार के दावों पर पलटवार
कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि राज्य गठन के बाद सरकारी क्षेत्र में 80% नियुक्तियां कांग्रेस काल में हुई हैं, चाहे वह उपनल या आउटसोर्सिंग के माध्यम से हो. उन्होंने बताया कि 20% शेष पदों में से 7-8% कर्मी उत्तर प्रदेश से आए हैं, जबकि बाकी पद विभिन्न सरकारों द्वारा भरे गए हैं. गरिमा ने कहा कि कांग्रेस ने हरिद्वार से उधम सिंह नगर तक सिडकुल और पिटकुल जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला. दसौनी ने आगे कहा कि कांग्रेस के समय में 70% स्थानीय युवाओं को नौकरी देने का प्रावधान किया गया था.
Also Read
- उत्तराखंड में देश का पहला सौर कौथिग: जानें कैसे बदल सकता है आपकी जिंदगी
- उत्तराखंड में चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का भव्य आगाज, 54 देशों के विशेषज्ञ जुटे, 600 शोध पत्रों के साथ आयुर्वेद चिकित्सा पर मंथन
- नए साल में जाम से राहत: देहरादून में बन रही नई पार्किंग, 285 वाहनों के लिए जगह
- पीआरडी जवानों की बेटियों की शादी के लिए ₹50,000 सहायता, मातृत्व अवकाश समेत कई बड़े फैसले की घोषणा
- ओएनजीसी से सेवानिवृत्त इंजीनियर की बेरहमी से हत्या, पेट पर कई वार कर चाकू से की हत्या
कांग्रेस ने की भाजपा के कार्यकाल की आलोचना
दसौनी ने भाजपा शासन में बड़े संस्थानों के बंद होने, जैसे आईडीपीएल और एचएमटी, की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में स्थापित कई लघु उद्योग अब बंद हो चुके हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने तीन साल के कार्यकाल में 32 हजार सरकारी पदों पर नियुक्तियां की थीं, जबकि भाजपा सरकार में बड़ी वैकेंसी को नजरअंदाज किया जा रहा है. गरिमा ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री के दावे सच्चे होते, तो बेरोजगार संघ के युवा आमरण अनशन पर नहीं होते.
साल दर साल भू माफिया के हाथों लूट रहा उत्तराखंड
दसौनी ने सीएम के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार भू कानून के प्रति संवेदनशील है तो उसे हिमाचल से अधिक कठोर कानून लागू करने चाहिए. दसौनी ने कहा कि हिमाचल तो समय रहते चेत गया. इस वजह से उसके पास अच्छा खासा लैंड बैंक है. लेकिन उत्तराखंड साल दर साल भू माफिया के हाथों लूट रहा है, बड़ी-बड़ी भूमि कब्जाई जा रही है. स्वयं पूर्व डीएम देहरादून द्वारा यह आधिकारिक तौर पर बयान दिया गया की 2016 के मुकाबले नगर निगम देहरादून के पास मात्र 40% भूमि बची है.