देहरादून में बढ़ता प्रदूषण: कूड़ा जलाने और धूल से सांस लेना हुआ मुश्किल, हवा में तैर रहा ‘जहर’

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देहरादून: साफ हवा और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाने जाने वाला देहरादून अब प्रदूषण के खतरे से जूझ रहा है। शहर की वायु गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है, और हालत दीपावली की रात के समान ही बने हुए हैं। बीते कुछ दिनों से देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ढाई से तीन सौ के बीच झूल रहा है।

शहर में खुले में कूड़ा जलाने और निर्माण कार्यों से उड़ती धूल के कारण हालात और खराब हो गए हैं। इस कारण वायुमंडल में प्रदूषण के ‘बादल’ तैर रहे हैं, जो शुष्क मौसम के चलते हट नहीं रहे। जिम्मेदार विभागों की उदासीनता स्थिति को और गंभीर बना रही है।

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सांस के मरीजों के लिए बड़ा खतरा

प्रदूषित आबोहवा ने दून के सांस और हृदय रोगियों की चिंता बढ़ा दी है। दीपावली के बाद दो दिनों तक वायु गुणवत्ता में थोड़ी राहत देखने को मिली थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। रविवार को देहरादून का AQI 300 के पार पहुंच गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है।

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े दून विवि क्षेत्र के हैं, जबकि शहर के मुख्य इलाकों जैसे घंटाघर, राजपुर रोड, और पटेल नगर की स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है।

प्रदूषण के पीछे के कारण

  1. कूड़ा जलाना: खुले में कचरा जलाने से जहरीली गैसें हवा में घुल रही हैं।
  2. निर्माण कार्यों की धूल: लगातार निर्माण गतिविधियों ने शहर को धूल के बादलों में बदल दिया है।
  3. सूखा मौसम: बारिश की अनुपस्थिति ने वायुमंडल में तैरते प्रदूषण को जमने का मौका दिया है।

क्या हो सकता है समाधान?

  • खुले में कचरा जलाने पर सख्त रोक लगाई जाए।
  • निर्माण स्थलों पर धूल को नियंत्रित करने के उपाय किए जाएं।
  • जनता को प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाए।

देहरादून के नागरिकों को चाहिए कि वे व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रदूषण कम करने की पहल करें, जैसे वाहनों का कम उपयोग और गीले कचरे का सही तरीके से निपटान। प्रशासन और जनता के संयुक्त प्रयास से ही दून को फिर से स्वच्छ बनाया जा सकता है।

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