देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में बुजुर्ग माता-पिता पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बहू-बेटों के जुल्म से परेशान बुजुर्ग कलेक्टर ऑफिस और जनसुनवाई में न्याय की गुहार लगा रहे हैं। हर हफ्ते 15-20 बुजुर्ग शिकायत प्रकोष्ठ में पहुंच रहे हैं।
जनसुनवाई के दौरान डीएम सविन बंसल के पास आई एक बुजुर्ग महिला ने अपने बेटों द्वारा मारपीट और घर में स्थान न देने की शिकायत की। डीएम ने तत्काल पुलिस और उप जिलाधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए। इसी तरह, एक अन्य मामले में बुजुर्ग महिला ने कहा कि बहू-बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया और खाने तक के लिए तरसा रहे हैं।
बुजुर्गों के लिए ‘भरण पोषण अधिनियम’ बना सहारा
वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने 2007 में ‘भरण पोषण और कल्याण अधिनियम’ पारित किया। इसके तहत बुजुर्ग एसडीएम कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। कानून के अनुसार, बच्चों द्वारा सेवा न करने पर संपत्ति भी वापस ली जा सकती है।
Also Read
- हिमालयी मौसम और जलवायु क्षेत्रों में एरोसोल का प्रभाव बढ़ा, 250 से अधिक वैज्ञानिक दे रहे समाधान के सुझाव
- उत्तराखंड की तस्वीर बदल देंगे चार महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट: वेडिंग डेस्टिनेशन, नालेज सिटी, दो नए शहर, और गंगा-शारदा कॉरिडोर से 2026 तक राज्य में विकास की नई शुरुआत
- उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड: मुख्यमंत्री धामी ने की आधिकारिक घोषणा
- उत्तराखंड में बाघों की मौत में 62% की कमी, संरक्षण प्रयासों से बेहतर हुए हालात
- 38वें राष्ट्रीय खेल: उत्तराखंड के खिलाड़ियों और खेल विभाग के लिए बड़ी परीक्षा, पदक तालिका में सुधार की चुनौती
सीनियर सिटिजन एसोसिएशन का कहना
एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल जोशी ने बताया कि बुजुर्गों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन लोकलाज के कारण कई बुजुर्ग आवाज नहीं उठाते। संगठन ऐसे मामलों में मदद कर रहा है।
सरकार की जिम्मेदारी
राज्य सरकार हर जिले में ओल्ड ऐज होम बनाने की जिम्मेदार है। सरकारी अस्पतालों में बुजुर्गों के लिए विशेष बेड आरक्षित किए गए हैं।
बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए सुझाव
- कर्मचारी नियुक्ति से पहले पुलिस वेरीफिकेशन कराएं।
- सीसीटीवी कैमरे लगवाएं।
- पड़ोसियों और चौकीदार को अपने आवागमन की जानकारी दें।