उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का शंखनाद हो चुका है. जिसके बाद दोनों ही दिग्गज पार्टियों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी हो गया है. कांग्रेस ने गुटबाजी और अंतर्कलह की घटना को नकारते हुए कहा की भाजपा को जब भी अपनी हार का आभास होता है तो वह ऐसे परपंच रचती है.
कांग्रेस का भाजपा पर वार
गुरुवार को कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस वार्ता कर कांग्रेस में गुटबाजी की खबरों को सिरे से नकारते हुए कहा की मीडिया में दिखाई जा रही और छप रही खबरें भाजपा का का षड्यंत्र है. भाजपा जानती है कि केदारनाथ उपचुनाव उनके लिए चुनौतीपूर्ण है. इसीलिए सरकारी खर्च पर कई मंत्रियों को दौड़ा रहे हैं. उससे भी बात बनती नहीं दिखी तो मुख्यमंत्री ने चुनावी पुलाव के रूप में घोषणाओं की झड़ी लगा दी.
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19 अक्टूबर को एक साथ केदारनाथ पहुंचेंगे पर्यवेक्षक
गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि जब भाजपा पांच कैबिनेट मंत्रियों को केदारनाथ चुनाव का प्रभार देती है तो किसी को कोई परेशानी नहीं होती. वहीं कांग्रेस यदि अपने पर्यवेक्षकों की संख्या 2 से 4 कर देती है तो उसे गुटबाजी और अंतर्कलह का नाम दे दिया जाता है. दसौनी ने कहा कि कांग्रेस के पर्यवेक्षक 19 अक्टूबर को एक साथ केदारनाथ पहुंचेंगे ओर संभावित प्रत्याशियों का पैनल तैयार करेंगे.
केदारनाथ की जनता अपने विवेक से लेती है निर्णय
दसौनी ने कहा 2012 में केदारनाथ की जनता ने जहां कांग्रेस प्रत्याशी को अपना विधायक चुना. वहीं 2017 में भाजपा की 57 की सुनामी में भी कांग्रेस की सरकार गिराने का महापाप करने पर केदारनाथ की जनता ने भाजपा प्रत्याशी को सबक सिखाते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी को चुना. इन सब बातों से साबित होता है कि केदारनाथ विधानसभा की जनता अपने विवेक से निर्णय करती है, वह ना घोषणाओं के लालच में आती है और ना ही भारी मंत्रियों की उपस्थिति उन्हें प्रभावित कर सकती है.
भाजपा के दिए जख्म नहीं भूल पाई है जनता
कांग्रेस प्रवक्ता दसौनी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि केदारनाथ की जनता चार धाम की अव्यवस्थाओं और हालिया आपदा के दौरान अनदेखी से नाराज है. गरिमा ने कहा की केदारनाथ से चुनी हुई विधायक के अंतिम संस्कार में शामिल न होकर मुख्यमंत्री ने केदारनाथ की जनता का अपमान किया और उसी दिन दिल्ली के बौराड़ी में केदारनाथ धाम के ही नाम से एक प्रतीकात्मक मंदिर का शिलान्यास करने का पाप किया. उस जख्म को केदारनाथ की जनता आज तक नहीं भूल पाई है.