माणा गांव क्यों है इतना खास? जाने क्यूँ कहा जाता है इसे स्वर्ग का द्वार

mana village: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गांव एक छोटा सा गांव है। भारत के इस पहले गांव का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। कहा जाता है कि यहीं से महाभारत काल में पांडवों ने यहीं से स्वर्ग(mana village Pandavas) की यात्रा शुरू की थी। समुद्र तल से करीब 8,000 फुट ऊंचाई पर बसे इस माणा गांव की वादियों की खूबसूरती देखने लायक है।

पहले इसे भारत के अंतिम गांव के तौर पर जाना जाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि ये गांव भारत-तिब्बत सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। हालांकि अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माणा गांव का दौरा किया था। जिसमें उन्होंने इस गांव को भारत के पहले गांव के नाम से संबोधित किया था। जिसके बाद से इसे भारत का पहला गांव कहा जाने लगा। गांव की सीमा पर ‘देश का पहला गांव’ नाम का साइन बोर्ड भी लगाया गया।

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उत्तराखंड के चमोली में बसा माणा गांव

माणा गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर दूर ये गाव अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां पर अक्सर मौसम ठड़ा रहता है। तो वहीं सर्दियों में भारी बर्फबारी देखने को मिलती है। ये भी एक कारण है कि ये स्थान पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है।

तापमान की बात करें तो यहां गर्मियों यानी मई से सितंबर के महिने में 5°C से 20°C के बीच तापमान(mana village weather) रहता है। तो वहीं सर्दियों में यही तापमान -10°C तक गिर जाता है।

माणा गांव की जीवनशैली (mana village history)

माणा गांव में कहा जाता है कि यहां व्यास और गणेश गुफा भी हैं। कहते है यहीं बैठकर वेद व्यास ने महाभारत की कहानी गणेश जी को बोलकर सुनाई थी। जिसे गणेश जी ने लिखा था।

माणा गांव में रडंपा जाति के लोग रहते हैं। यहां के लोगों की संस्कृति तिब्बती लोगों से प्रभावित हैं। यहां पर लोग पारंपरिक रूप से ऊन से बने कपड़े पहनते हैं। साथ ही हस्तनिर्मित शॉल, टोपी और कालीन भी बनाते है। स्थानीय भाषा की बात करें तो यहां पर लोगों के बोलने में तिब्बती और गढ़वाली भाषा का मिश्रण आता है।

माणा गाँव की जनसंख्या

माणा गांव में ज्यादा स्थानीय लोग नहीं रहते। यहां की आबादी करीब 600 से 800 के बीच है। इनमें से अधिकतक भोटिया जनजाति के लोग है। ये लोग ज्यादातर भेड़-बकरी पालन और कृषि पर निर्भर रहते है। इनका पहनावा, भाषा और खान-पान गढ़वाल और तिब्बती संस्कृति का मिक्स है।

गांव के आसपास घूमने की जगह

अगर आप माणा जाने का प्लान बना रहे है तो यहां पर आपको देखने लायक और घूमने के लिए कई सारी जगह मिल जाएगी। इस जगह सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी होता है। इसके साथ ही यहां पर कई सारी गुफाएं और प्राचीन मंदिर जैसे तप्त कुंड, वेद व्यास की गुफा आदि जगह भी आप जा सकते है। इन मंदिरों और गुफाओं में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

  1. बद्रीनाथ: चार धामों में से एक बद्रीनाथ और माणा गांव के बीच की दूरी करीब तीन किलोमीटर(mana village to badrinath distance) है।
  2. भीम पुल:- माणा गांव से थोड़ा सा ही आगे पड़ता है भीम पुल। माना जाता है कि राज-पाछ छोड़कर जब पांडव स्वर्ग की ओर जा रहे थे तो वो माणा गांव होकर गए थे। रास्ते में एक झरने को पार करने के लिए भीम ने चट्टान फेंककर पुल बनाया। जिसके बाद से इसे भीम पुल के नाम से जाना जाने लगा। स्थानीय लोगों ने बगल में भीम का मंदिर भी बना रखा है।
  3. नीलकंठ पर्वत- नीलकंठ पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। ट्रेकिंग प्रेमियों के बीच ये जगह काफी फेमस है।
  4. वसुधारा: भीम पुल से पांच किलोमीटर दूर ये झरना है। ये करीब 400 फीट ऊंचाई से गिरता है। देखने में ये मोतियों की बौछार सा लगता है। ऐसा माना जाता है कि इस झरने की पानी की बूंदें पापियों के ऊपर नहीं गिरती।
  5. चरणपादुका- बद्रीनाथ मंदिर के रास्ते पर ये स्थान पड़ता है। ये स्थान भगवान विष्णु के चरण चिह्नों से जुड़ा हुआ है।
  6. वसुधारा जलप्रपात- माणा गांव से इस सुंदर जलप्रपात की दूरी करीब छह किलोमीटर है। इसे काफी पवित्र माना जाता है।

ट्रेकिंग और रोमांचक गतिविधियां

माणा गांव धार्मिक द्यष्टिकोण के अलावा रोमांचक गतिविधियों के लिए भी फेमस है। ये कई सारे मेन ट्रेकिंग मार्गों का एंट्री प्वाइंट है। ट्रेकर्स के बीच ये स्थान काफी फेमस है।

  • सतोपंथ झील ट्रेक – बद्रीनाथ के आगे ये झील पड़ती है। इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है।
  • स्वर्गारोहिणी ट्रेक – कहा जाता है कि ये वही मार्ग है जहां से महाभारत के समय पांडवों ने स्वर्ग की यात्रा शुरू की थी।

विशेष मेला और उत्सव

माणा गांव में विशेष मेला और उत्सव देखने को भी मिलता है। यहां पर माणा मेला लगता है। साथ ही यहां से नंदा देवी राजजात यात्रा भी निकलती है। जिसमें कई श्रद्धालु भाग लेते हैं।

  • माणा मेला: बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने से कुछ समय पहले यहां पर एक अहम मेला लगता है। माणा मेला में स्थानीय लोग अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और लोकनृत्य का प्रदर्शन करते हैं। इसमें दूर-दूर से लोग शामिल होते है।
  • नंदा देवी राजजात यात्रा: नंदा देवी राजजात यात्रा का गढ़वाल में काफी महत्व है। धार्मिक और सांस्कृतिक इस यात्रा में कई श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं।

माणा गांव के लोगों का खान-पान

क्योंकि ये (mana village) गांव भारत-तिब्बत सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है, जिसके कारण यहां के स्थानीय व्यंजन उत्तराखंड और तिब्बती संस्कृति से प्रभावित हैं।

  1. चैंसू: ये डिश भट्ट से बनी होती है। जो काफी स्वादिष्ट होती है। चैंसू खासकर पहाड़ के गढ़वाली रिजन में बनाई जाती है।
  2. मंडुए की रोटी: यहां के लोग पहाड़ी इलाकों में उगने वाला मंडुआ यानी रागी की रोटिया खाते है। ये सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है।
  3. थुकपा और मोमोज: इसके अलावा यहां के लोगों को तिब्बती मूल के व्यंजन थुकपा और मोमोज खाना भी पसंद है।

कैसे पहुंचे माणा गांव?

mana village

माणा गांव तक पहुंचने के लिए आपको कई सारे मार्ग के विकल्प मिल जाएंगे:-

  1. सड़क मार्ग- माणा गांव के लिए आपको आसानी से बसें और टैक्सियां बद्रीनाथ तक मिल जाती हैं। बद्रीनाथ से माणा गांव की दूरी करीब तीन किलोमीटर है। जिसमें आपको 10-15 मिनट तक का टाइम लग जाएग।
  2. रेल मार्ग- Mana village से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। माणा गांव से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 295 किमी है।
  3. हवाई मार्ग- माणा गांव से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। इसकी दूरी माणा गांव से करीब 315 किमी दूर पर मौजूद है।

माणा गाँव का में यात्रा का बेस्ट टाइम

  • गर्मी (मई-जून): इस दौरान यहां का तापमान 10°C से 20°C तक रहता है। ये समय यात्रा के लिए सबसे बेस्ट है।
  • सर्दी (अक्टूबर-मार्च): यहां सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है। इस दौरान गांव के लोग प्रवास कर निचले स्थानों में आ जाते हैं।
  • बारिश (जुलाई-अगस्त): इस दौरान यात्रा करने से परहेज करना चाहिए। यहां पर भूस्खलन का खतरा बना रहता है।

माणा गांव में ठहरने की सुविधा (mana village hotels)

माणा गांव में हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते है। ऐसे में आपको यहां पर रुकने के लिए कई सारे गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं मिल जाएंगी। इसके अलावा बद्रीनाथ में भी आपको कई सारे होटल्स और लॉन्ज मिल जाएंगे। जहां आप आसानी से ठहर सकते है।

  • यहां पर सरकारी गेस्ट हाउस और होमस्टे मौजूद हैं।
  • इसके अलावा गढ़वाल मंडल विकास निगम( GMVN) का एक गेस्ट हाउस भी यहां मौजूद है।
  • बद्रीनाथ में अच्छे होटल और धर्मशालाएं(mana homestay badrinath)।

माणा के बारे में कुछ और रोचक बातें

  • साल 2023 में पीएम मोदी के दौरे के बाद इसे “भारत का पहला गांव” बोला जाने लगा क्योंकि ये भारत-तिब्बत सीमा पर पर मौजूद है।
  • बद्रीनाथ धाम बंद होने के बाद यहां के लोग निचले इलाकों में चले जाते हैं ।
  • माणा गांव का नाम मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माणा गांव ही एक सिंगल गांव है जिसे धरती पर मौजूद धामों में से सबसे पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि ये गांव पापमुक्त और शापमुक्त भी है।
  • इस गांव के लिए ये भी कहा जाता है कि यहां आने से गरीबी दूर हो जाती है। इस गांव को शिव जी से आशीर्वाद मिला है। जिसके चलते यहां लोग हर साल भारी संख्या में घूमने आते हैं।
  • यहां भोजपत्र भी पाए जाते है। इन्हीं भोजपत्र में महापुरुषों ने ग्रंथों की रचना की थी।
  • यहां पर कई सारी जड़ी बूटियां मौजूद हैं।
  • शराब के बाद यहां के लोगों का मेन पेय पदार्थ चाय है। यहां घर-घर में चावल से शराब बनाई जाती है। हिमालयी क्षेत्र और जनजाति के कारण इन लोगों को सरकार से शराब बनाने की छूट है।

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