देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम ने लगातार हो रही बस दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू कर दी है। हाल ही में मसूरी से दिल्ली जा रही बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह कदम उठाया गया। परिवहन निगम ने सभी डिपो प्रबंधकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बसों को मार्ग पर भेजने से पहले हर नियम और प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया जाए।
मसूरी-दिल्ली बस हादसे ने उठाए सवाल
मसूरी से दिल्ली जा रही बस के चालक के बदलाव और ड्यूटी विवाद के चलते दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में दिल्ली-देहरादून और दिल्ली-हरिद्वार मार्गों पर पांच सीएनजी बसें भी हादसों का शिकार हो चुकी हैं।
एसओपी में क्या हैं नए प्रावधान?
महाप्रबंधक (संचालन) पवन मेहरा ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि:
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- फिटनेस जांच अनिवार्य: बसों के टायर, लाइट, इंजन, ब्रेक, स्टेयरिंग, खिड़कियों, दरवाजों और सीटों की तकनीकी जांच कार्यशाला फोरमैन द्वारा नियमित रूप से की जाएगी।
- ड्राइवर-परिचालकों की नशा जांच: मार्ग पर जाने से पहले हर चालक-परिचालक की नशे की जांच की जाएगी। नशे में पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- प्रदूषण प्रमाण-पत्र जरूरी: हर बस को प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य होगा और प्रमाण-पत्र साथ रखना होगा।
- ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता: चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस वैध होने पर ही उन्हें ड्यूटी पर भेजा जाएगा।
- गति और मार्ग नियंत्रण: निर्धारित गति और तय मार्ग पर बस संचालन सुनिश्चित होगा।
- म्यूजिक सिस्टम और मोबाइल पर रोक: संचालन के दौरान म्यूजिक सिस्टम, मोबाइल फोन का उपयोग और बीड़ी-सिगरेट या गुटखा पर सख्त पाबंदी होगी।
पर्वतीय मार्गों पर बढ़ रहे हादसे
पर्वतीय क्षेत्रों में बस ब्रेक फेल और अन्य तकनीकी खामियों से दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। परिवहन निगम ने इन घटनाओं को रोकने के लिए अनुबंधित बसों के स्वामियों को भी फिटनेस जांच के लिए जिम्मेदार बनाया है।
यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि
महाप्रबंधक ने डिपो अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लंबे समय से खराब बसों की समीक्षा रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए। इसके अलावा चालक-परिचालकों को दुर्घटना रोकने के प्रति जागरूक करने और हर दिन पांच-पांच कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का आदेश भी जारी किया गया है।
दुर्घटनाओं पर लगेगी लगाम
इन कदमों से उम्मीद है कि उत्तराखंड में बस दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाया जाएगा और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा।