उत्तराखण्ड निकाय चुनाव: मेयर पद महिला के लिए आरक्षित, दावेदारों में असमंजस और नई रणनीति पर मंथन

उत्तराखंड निकाय चुनाव

पिथौरागढ़। सर्द मौसम के बीच पिथौरागढ़ नगर निगम में मेयर पद महिला के लिए आरक्षित होने से स्थानीय राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। पहली बार नगर निगम बनने के बाद मेयर सीट के सामान्य होने की उम्मीद लगाए बैठे पुरुष दावेदार अब नई रणनीति बनाने में जुटे हैं।

महिलाओं की बढ़ी भागीदारी

भाजपा से मेयर पद के लिए 10 महिला दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। धारचूला, डीडीहाट, बेड़ीनाग, गंगोलीहाट और मुनस्यारी से आई इन दावेदारों को लेकर पार्टी में 20 और 21 दिसंबर को रायशुमारी की जाएगी।

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भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश पदाधिकारी जैसे राजेंद्र बिष्ट और सुरेश गढ़िया इन बैठकों में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारी चुनाव की तैयारियों के लिए महिला उम्मीदवारों का समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।

पुरुष दावेदारों में असमंजस

महिला आरक्षण ने पुरुष उम्मीदवारों के सपनों पर पानी फेर दिया है। कई पुरुष दावेदार अब अपनी पत्नियों को उम्मीदवार बनाने या फिर किसी मजबूत महिला उम्मीदवार के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं।

चंपावत और टनकपुर जैसे अन्य नगर पालिका क्षेत्रों में भी आरक्षण से पुरुष उम्मीदवारों को झटका लगा है। चंपावत में सामान्य सीट होती तो दावेदारों की संख्या बढ़ सकती थी, लेकिन महिला आरक्षण से कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए स्थिति आसान हो गई है।

टनकपुर में अन्य पिछड़ी जाति का आरक्षण

टनकपुर में अध्यक्ष पद अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के लिए आरक्षित होने से सामान्य वर्ग के दावेदार निराश हैं। पालिका के 14,739 मतदाताओं में महिला और पुरुष मतदाता बराबरी की स्थिति में हैं, लेकिन आरक्षण ने चुनावी समीकरण बदल दिए हैं।

भाजपा की चुनावी तैयारियां

भाजपा ने निकाय चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है और चुनाव प्रबंधन समिति के गठन पर चर्चा तेज हो गई है। हर घर प्रचार अभियान, महिला संपर्क अभियान और युवा जुड़ाव जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है।

बैठक में गिरीश कुंवर, सचिन जोशी, गोविंद वर्मा जैसे नेताओं ने घर-घर संपर्क और चुनाव प्रचार को मजबूत करने के सुझाव दिए।

राजनीतिक तापमान चढ़ा

निकाय चुनावों में आरक्षण ने दावेदारों को अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है। पुरुष दावेदारों के लिए सीट आरक्षित होने से राजनीतिक तपिश और भी तेज हो गई है।

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