देहरादून। उत्तराखंड में भूमि खरीद-बिक्री को लेकर नियमों का उल्लंघन और कानून की अनदेखी अब आसान नहीं होगी। प्रदेश सरकार भू-कानून को और सख्त बनाने की तैयारी में है। जिलों से प्राप्त रिपोर्ट में सामने आए मामलों के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वर्तमान भू-कानून में संशोधन का प्रस्ताव आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
नियमों की अनदेखी पर सख्त कार्रवाई
जिलों से मिली रिपोर्ट में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, और अल्मोड़ा जैसे जिलों में भूमि खरीद-बिक्री के दौरान नियमों की अनदेखी के कई मामले सामने आए हैं।
- आवासीय भूमि खरीद: बाहरी व्यक्तियों को आवासीय उपयोग के लिए निर्धारित 250 वर्गमीटर की सीमा का उल्लंघन।
- व्यावसायिक भूमि खरीद: 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद के नियमों का दुरुपयोग।
इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए सीएम धामी ने जिलाधिकारियों को कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। अब तक 500 से अधिक मामलों पर कार्रवाई जारी है।
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संशोधित कानून पर होगा फोकस
मुख्यमंत्री धामी ने भू-कानून में मौजूद त्रुटियों को दूर करने और कानून को अधिक उत्तरदायी बनाने के निर्देश दिए हैं। प्रस्तावित बदलावों में:
- भूमि खरीद के नियमों का सख्ती से पालन।
- भूमि दुरुपयोग के मामलों में दोषियों पर कड़ा कानूनी शिकंजा।
- भूमि दुरुपयोग होने पर सरकार में निहित करने की प्रक्रिया तेज।
- निवेशकों के लिए कानून को संतुलित रखते हुए प्रावधान।
राजस्व विभाग आवश्यक संशोधनों के लिए तहसील स्तर से रिपोर्ट जुटा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर, प्रबुद्ध जनों, किसानों, और विशेषज्ञों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए कानून में बदलाव किए जाएंगे।
निवेशकों के लिए सकारात्मक माहौल
राजस्व सचिव एसएन पांडेय ने स्पष्ट किया कि भू-कानून को अत्यधिक सख्त बनाकर निवेशकों को हतोत्साहित नहीं किया जाएगा। साथ ही, पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि जिलों से भूमि खरीद-बिक्री की रिपोर्ट नियमित रूप से राजस्व परिषद को भेजी जाए। इस डेटा का परीक्षण कर कानून के सख्त क्रियान्वयन की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
कानून के दुरुपयोग पर लगेगी लगाम
प्रदेश सरकार भूमि कानून के दुरुपयोग को रोकने और नियमों से खिलवाड़ करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में किए जा रहे संशोधन न केवल नियमों का उल्लंघन रोकेंगे, बल्कि उत्तराखंड में पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन की छवि को भी मजबूत करेंगे।