हल्द्वानी: उत्तराखंड में भूमि कानून के उल्लंघन से जुड़े बड़े खुलासे हो रहे हैं। राज्य में भूमि खरीदी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कई प्रभावशाली लोग काले कारनामों में शामिल पाए गए हैं। कुमाऊं क्षेत्र में अब तक 134 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें बाहरी लोग जमीन का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे। कुछ ने होटल, रिसॉर्ट और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कृषि भूमि का उपयोग किया है।
बड़े नामों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में भूमि कानून के उल्लंघन के मामलों में बाहरी लोगों का नाम सामने आया है। खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से आए प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं और भूमि माफियाओं के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है।
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नैनीताल और अल्मोड़ा में सबसे अधिक मामले
कुमाऊं के नैनीताल जिले में भूमि कानून का उल्लंघन सबसे अधिक हुआ है। विशेष अनुमतियों के तहत 2003 के बाद बाहरी लोगों ने कृषि और व्यावसायिक उद्देश्य के लिए जमीन खरीदी, लेकिन इसका गलत उपयोग किया गया। नैनीताल जिले में 64 मामले सामने आए हैं, जिसमें सबसे अधिक भूमि का गलत इस्तेमाल 2017 के बाद हुआ है। रामनगर और अन्य क्षेत्रों में रिसॉर्ट बनाने की होड़ मची हुई है।
अल्मोड़ा जिले में भी 23 मामले सामने आए हैं, जिनमें फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी का नाम भी शामिल है। उनके द्वारा खरीदी गई भूमि पर जांच चल रही है। इसके अलावा, मुंबई के व्यवसायी भरत विसंजी और अन्य प्रमुख नाम भी इस घोटाले में शामिल हैं।
बागेश्वर और चंपावत में भी भूमि उल्लंघन
बागेश्वर और चंपावत जिलों में भी भूमि कानून का उल्लंघन हुआ है। बागेश्वर में विभिन्न व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई भूमि का उपयोग गलत कार्यों के लिए किया जा रहा था। वहीं, चंपावत जिले में भी एक ही परिवार के कई सदस्यों ने अलग-अलग नामों से भूमि खरीदी और इसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
पिथौरागढ़ पर नहीं पड़ी भू-माफियाओं की नजर
पिथौरागढ़ जिले में भूमि उल्लंघन के मामलों की संख्या बेहद कम है। यहाँ की प्रशासनिक जांच में पाया गया है कि खरीदी गई भूमि का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए हो रहा है, जिसके लिए उसे खरीदा गया था।
ऊधम सिंह नगर और अन्य जिलों में भी उल्लंघन के मामले
ऊधम सिंह नगर में 41 लोग भूमि क्रय शर्तों का उल्लंघन कर चुके हैं। काशीपुर और बाजपुर में भी बड़े उल्लंघन हुए हैं। जिन लोगों ने भूमि उद्योग और कृषि के लिए खरीदी थी, उन्होंने उसका गलत उपयोग किया।
भ्रष्टाचार और भूमि माफिया पर प्रशासन का कड़ा रुख
उत्तराखंड सरकार ने भूमि कानून के उल्लंघन में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। प्रभावित जिलों में जांच तेज कर दी गई है और सभी आरोपियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।