उत्तराखंड में ओबीसी आरक्षण की बाधा दूर, राजभवन ने अध्यादेश को दी मंजूरी; निकाय चुनाव का रास्ता साफ

देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर लाए गए संशोधन अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी राज्य में नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के लिए लाए गए अध्यादेश को दी गई है, जो ओबीसी आरक्षण के नए सिरे से निर्धारण का मार्ग प्रशस्त करता है।

मुख्य निर्णय:

  1. ओबीसी आरक्षण का निर्धारण:
    • ओबीसी आरक्षण नए सिरे से आयोग की संस्तुति के आधार पर तय होगा।
    • अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
    • यदि किसी क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण 50% से अधिक है, तो ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलेगा।
  2. निकाय चुनाव की अधिसूचना:
    • आरक्षण प्रक्रिया पूरी होते ही इस महीने के अंत तक चुनाव की अधिसूचना जारी होने की संभावना है।
  3. जुड़वा बच्चों को राहत:
    • जिन उम्मीदवारों की पहली संतान जीवित रहते हुए दूसरी संतान जुड़वा है, उन्हें एक इकाई माना जाएगा। ऐसे व्यक्ति तीन बच्चे होने के बावजूद चुनाव लड़ने के पात्र होंगे।
  4. वित्तीय अनियमितताओं पर सख्त कदम:
    • यदि नगर पालिका अध्यक्ष या उपाध्यक्ष वित्तीय अनियमितताओं में दोषी पाए जाते हैं, तो वे निकाय के सदस्य बने रहने के अयोग्य होंगे।
    • दोषी पाए जाने पर उन्हें पांच साल तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग की अनुशंसा के आधार पर नगर निकायों में नए सिरे से निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

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अध्यादेश की प्रक्रिया:

  • अगस्त 2023 में विधानसभा के ग्रीष्मकालीन सत्र में यह विषय प्रवर समिति को सौंपा गया था।
  • समिति ने 2011 की जनगणना के आधार पर चुनाव कराने की संस्तुति की थी।
  • सरकार ने दोबारा अध्यादेश लाकर इसे राजभवन से स्वीकृत कराया।

आगे का रास्ता:

अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद राज्य में नगर निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार का लक्ष्य है कि आरक्षण निर्धारण के बाद जल्द से जल्द चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाए।

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