उत्तरकाशी: मस्जिद विवाद ने अब नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। मुस्लिम समुदाय ने मस्जिद को अवैध करार दिए जाने के विरोध में अदालत में अपील दायर करते हुए इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। समुदाय का दावा है कि मस्जिद पूरी तरह वैध है और इसके सभी दस्तावेज जिला प्रशासन को पहले ही सौंपे जा चुके हैं।
मुस्लिम समुदाय ने दी दस्तावेजी दलीलें
मस्जिद विवाद को लेकर इश्तियाक अहमद, अनवर बेग, नासिर शेख और नसीर खान ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है। उनका कहना है कि जिस मस्जिद को अवैध बताया जा रहा है, वह 1982 के नगर पालिका अभिलेखों में दर्ज है और 1986 में वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश के अंतर्गत पंजीकृत है। वर्तमान में यह उत्तराखंड वक्फ बोर्ड देहरादून के तहत आती है।
जिला प्रशासन भी पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी कर चुका है कि यह मस्जिद सरकारी भूमि पर निर्मित नहीं है। मुस्लिम समुदाय ने हाईकोर्ट में मस्जिद के संरक्षण और सुरक्षा की मांग की है।
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मस्जिद पर क्या है विवाद?
संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ ने वरुणावत पर्वत की तलहटी में स्थित मस्जिद को अवैध बताते हुए विरोध शुरू किया है। संघ का दावा है कि यह मस्जिद नहीं, बल्कि अवैध मकान है। 24 अक्टूबर को संघ ने इस मसले पर जनाक्रोश रैली आयोजित की थी, जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई।
पथराव और लाठीचार्ज में घायल हुए 36 लोग
झड़प के दौरान पुलिस द्वारा निर्धारित मार्ग को छोड़कर प्रदर्शनकारियों ने अन्य मार्ग से जाने की जिद की, जिससे तनाव बढ़ा। स्थिति बेकाबू होने पर पथराव और लाठीचार्ज हुआ, जिसमें 9 पुलिसकर्मियों सहित कुल 36 लोग घायल हो गए। इस घटना में 8 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। तीन मुख्य आयोजकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
महापंचायत और विवाद का बढ़ता दायरा
विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर देवभूमि विचार मंच ने 25 नवंबर को तहसील स्तर पर ज्ञापन और 1 दिसंबर को महापंचायत का ऐलान किया है। इससे विवाद और अधिक भड़कने की आशंका जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी दौरे के दौरान इस विवाद की जांच का आश्वासन दिया था। बावजूद इसके, मस्जिद विवाद अभी शांत नहीं हुआ है और हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद इसका नया मोड़ सामने आया है।