मलिन बस्तियों को लेकर एक बार फिर से प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। जहां सरकार दोबारा से अध्यादेश लाने के मूड में है तो वहीं विपक्ष ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस का कहना है कि बार बार अध्यादेश ला कर सरकार मालिकाना हक देने से क्यों कतरा रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मलिन बस्तियों के लिए अध्यादेश नहीं मालिकाना हक का कानून लागू करने की मांग की है।
मलिन बस्तियों के लिए बार-बार अध्यादेश क्यों ला रही सरकार ?
उत्तराखंड की मलिन बस्तियों पर उजड़ने की तलवार एक बार फिर से लटक गई है। एक बार फिर से यहां रहने वालों को डर सताने लगा है। हालांकि सरकार का कहना है कि वो इस समस्या का स्थाई समाधान के बारे में सोत रही है। लेकिन विपक्ष इसके लिए आवाज उठा रहा है।
Also Read
- उत्तराखंड में चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का भव्य आगाज, 54 देशों के विशेषज्ञ जुटे, 600 शोध पत्रों के साथ आयुर्वेद चिकित्सा पर मंथन
- सहकारी समितियों में बड़ा बदलाव: 1.11 लाख निष्क्रिय सदस्यों को मिला मतदान का अधिकार, महिलाओं को 33% आरक्षण
- उत्तराखंड में हर परिवार को अपनी छत, नई आवास नीति से 5 लाख आय वालों को मिलेगा बड़ा फायदा
- पीआरडी जवानों की बेटियों की शादी के लिए ₹50,000 सहायता, मातृत्व अवकाश समेत कई बड़े फैसले की घोषणा
- उत्तराखंड में नई आवास नीति लागू: पांच साल तक नहीं बेच सकेंगे आवास, गृह प्रवेश में देरी पर रद्द होगा आवंटन
कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि ऐन चुनाव के वक्त लोगों को कोर्ट के आदेश का डर दिखा कर अध्यादेश ला कर बचाने का ढोंग रच कर वोट लेने का षडयंत्र पिछली दो निकाय चुनावों से भाजपा कर रही है। अब तीसरी बार भी जब अध्यादेश का समय पूरा हो रहा है तो सरकार बजाय कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए नियमितीकरण और मालिकाना हक देने के कानून का पालन करने के फिर से अध्यादेश अध्यादेश का खेल खेलने जा रही है। जो ना तो मलिन बस्तियों के हक में है और ना ही राज्य के हित में है।
मुद्दे का स्थाई समाधान नहीं होने देना चाहती भाजपा
धस्माना ने कहा कि जब 2017 में प्रदेश की मलिन बस्तियों को उजड़ने से बचाने के लिए मलिन बस्ती विकास परिषद ने कांग्रेस के बैनर तले मुख्यमंत्री आवास कूच किया था। तब त्रिवेंद्र सरकार पहली बार मलिन बस्तियों के बारे में अध्यादेश लाई थी। जिसे दोबारा साल 2021 में तीन वर्षों के लिए लाया गया।
अब जब अक्टूबर में इस अध्यादेश का समय भी समाप्त हो रहा है तो एक बार फिर राज्य सरकार एक नया अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है। जबकि छह वर्षों में राज्य सरकार को मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक और पुनर्वास का इंतजाम कर लेना चाहिए था। परंतु भाजपा इस मुद्दे का स्थाई समाधान होने ही नहीं देना चाहती।
मलिन बस्तियों में रहने वालों को दिया जाए मालिकाना हक
धस्माना ने आरोप लगाया कि मलिन बस्तियों पर हमेशा उजाड़ने का डर दिखा कर और फिर अध्यादेश ला कर बचाने का अहसान दिखा कर भाजपा मलिन बस्तियों के वोट हासिल करती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा मलिन बस्तियों को नियमित करने और उनके मालिकाना हक के पक्ष में रही है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर मलिन बस्तियों को नियमित किया जाएगा और उनके निवासियों को मालिकाना हक भी दिया जाएगा।